Saturday, September 20, 2025
मुझसे इतना बताकर कहो अलबिदा
मुझसे इतना बताकर कहो अलबिदा,
फिर कहीं पर मुलाक़ात होगी कभी ।
सुर्ख छेहरे पे तेरे सजल हैं नयन,
मुस्कराहट की बरसात होगी कभी ।
मुस्कराहट की बरसात होगी कभी ।
हो रहें हैं हमारे अलग रस्ते,
चलते-चलते ये रहें मिलेंगी कभी।
एक आरसे से हो साँस में ख्वाब में ,
ख्वाब में ही मुलाकात होगी कभी।
सुन रहा हूँ जो तुम कह नहीं पारहे,
बंद लब्ज़ों से फिर बात होगी कभी।
बन गए हो मेरे रूह का असर,
रूह से रूह की बात होगी कभी।
बेसहारा हुआ हूँ मैं हरा नहीं,
जीत कर भी खुशी अब मिलेगी कभी।
है ज़माने से मेरा नहीं राबता,
राबता अब ज़माने से होगा कभी।
वक़्त के रस्ते चल रही ज़िन्दगी,
इस सफर में कही रात होगी कभी।
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