हर तरफ बिखरें हैं पन्ने तेरी किताब के, किस-किस को समेटूं ज़िन्दगी तेरे हिसाब से।
ज़िन्दगी लम्हों के ईट से बनी मकां सी है.
इसका सपनों का कारोबार है, एक दुकां सी है
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