अब हल-ए -दिल सुनाने से, क्या फायदा,
उसे संग-दिल बनाने से क्या फायदा।
जो हम पे गुजारी, वो किस्मत की बात है,
उसे जिम्मेदार बनाने से क्या फायदा।
जो खुद को खुदा, मान बैठे यहाँ पे ,
उन्हें आइना दिखने से क्या फायदा।
अब ख़िज़ाँ से ही, राबता होने लगा है,
तेरे लौट के आने से क्या फायदा।
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