सर्द हवा में ओस की बूदें, आँखों में सावन आया,
साल पुराना बीत गया, फिर जाड़ों का मौसम आया,
सब के सब वैसे ही हैं, छोटे दिन लम्बी रातें,
मुझको याद दिलाते हैं, पिछले जाड़ों की बातें,
हर चीज दिखी पहले जैसी, इक तू हीं नहीं नजर आया.
साल पुराना .......
कुछ ऐसा ही मौसम था, जब वो पहली बार मिले,
तारों वाली चादर ओढ़े, चाँद को जैसे आड़ किये,
बूंदों का श्रृंगार किया, ओसों से भीगा साया .
साल पुराना .......
देखूं मैं उनको देखूं , जब सर्द हवाएं चलती हैं,
भींगे ओस में पत्तों जैसे, साँसें भीगी रहतीं हैं,
अब "अहसास" हुआ मुझको, यादों का आलम आया.
साल पुराना .......
कुछ ऐसा ही मौसम था, जब वो पहली बार मिले,
ReplyDeleteतारों वाली चादर ओढ़े, चाँद को जैसे आड़ किये,
बूंदों का श्रृंगार किया, ओसों से भीगा साया .
वाह 'अहसास' जी, बहुत खूबसूरत अहसास समेटें हैं ये पंक्तियाँ!