अहसास
हर तरफ बिखरें हैं पन्ने तेरी किताब के, किस-किस को समेटूं ज़िन्दगी तेरे हिसाब से।
Sunday, October 19, 2014
जब से बना हूँ नाख़ुदा, खुद की कश्ती का,
लहरों की दुश्मनी का वहम टूट गया है.
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