अहसास
हर तरफ बिखरें हैं पन्ने तेरी किताब के, किस-किस को समेटूं ज़िन्दगी तेरे हिसाब से।
Saturday, September 20, 2025
मुझसे इतना बताकर कहो अलबिदा
मुझसे इतना बताकर कहो अलबिदा,
फिर कहीं पर मुलाक़ात होगी कभी ।
सुर्ख छेहरे पे तेरे सजल हैं नयन,
मुस्कराहट की बरसात होगी कभी ।
मुस्कराहट की बरसात होगी कभी ।
हो रहें हैं हमारे अलग रस्ते,
चलते-चलते ये रहें मिलेंगी कभी।
एक आरसे से हो साँस में ख्वाब में ,
ख्वाब में ही मुलाकात होगी कभी।
सुन रहा हूँ जो तुम कह नहीं पारहे,
बंद लब्ज़ों से फिर बात होगी कभी।
बन गए हो मेरे रूह का असर,
रूह से रूह की बात होगी कभी।
बेसहारा हुआ हूँ मैं हरा नहीं,
जीत कर भी खुशी अब मिलेगी कभी।
है ज़माने से मेरा नहीं राबता,
राबता अब ज़माने से होगा कभी।
वक़्त के रस्ते चल रही ज़िन्दगी,
इस सफर में कही रात होगी कभी।
Tuesday, January 11, 2022
यूं गुजर गए कितने साल चुपके-चुपके
यूं गुजर गए कितने साल चुपके-चुपके,
जैसे कल ही मिले थे पहली बार चुपके-चुपके।
कैफियत हवाओं की कह रही है हम से,
गुजारी है बागों से बहार चुपके-चुपके।
वक़्त पर कदम गर उठाये न जायें ,
हो जाता है सुब कुछ बर्वाद चुपके-चुपके।
याद है तेरा नज़रें झुका लेना, और
हांथों पे रखना अपना हाथ चुपके-चुपके।
महफ़िल में तेरी ज़िक्र पे खामोश रहते हैं,
और करते हैं तुमको, हम याद चुपके-छूओके।
Friday, December 24, 2021
अब हल-ए -दिल सुनाने से क्या फायदा.....
अब हल-ए -दिल सुनाने से, क्या फायदा,
उसे संग-दिल बनाने से क्या फायदा।
जो हम पे गुजारी, वो किस्मत की बात है,
उसे जिम्मेदार बनाने से क्या फायदा।
जो खुद को खुदा, मान बैठे यहाँ पे ,
उन्हें आइना दिखने से क्या फायदा।
अब ख़िज़ाँ से ही, राबता होने लगा है,
तेरे लौट के भी आने से क्या फायदा।
Thursday, May 13, 2021
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