हर तरफ बिखरें हैं पन्ने तेरी किताब के, किस-किस को समेटूं ज़िन्दगी तेरे हिसाब से।
कहाँ मिलते हैं हँसी ख्वाब सभी को,
कहाँ मिलते हैं सवालों के जबाब सभी को,
चराग भी काफी है रोशनी के लिए
कहाँ मिलते हैं आफताब सभी को.
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