अहसास
हर तरफ बिखरें हैं पन्ने तेरी किताब के, किस-किस को समेटूं ज़िन्दगी तेरे हिसाब से।
Thursday, May 13, 2021
चंद लम्हे क्या गुजार लिए साथ उनके,
क़तरा-क़तरा मुस्कुराहटों का हिसाब देने पड़ा।
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