अहसास
हर तरफ बिखरें हैं पन्ने तेरी किताब के, किस-किस को समेटूं ज़िन्दगी तेरे हिसाब से।
Wednesday, March 27, 2013
जिसने भी खंडहर को घर बनाया है
जिसने भी खंडहर को घर बनाया है,
तुकाड़ो के लिए खास जगह बनाया है।
जमाना टूटने का मातम मनाता है,
उसने टूटने को मुक्कदर बनाया है।
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