उसने रोका नहीं खुद को
वरना आदमी बुरा नहीं था।
शायद मेरी ही गलती थी
वो बेवफा नहीं था।
बेवज़ह मैं बनगया था नाखुदा,
वो मेरा कारवां नहीं था।
मेरा वक़्त बुरा है शायद,
वरन वो मेहरवान नहीं था।
ऐसा नहीं के बाग उसने लगाये थे,
वैसा बगवान नहीं था।
"अहसास" कैसे होता गलती का ?
हाथ में आइना नहीं था।
वरना आदमी बुरा नहीं था।
शायद मेरी ही गलती थी
वो बेवफा नहीं था।
बेवज़ह मैं बनगया था नाखुदा,
वो मेरा कारवां नहीं था।
मेरा वक़्त बुरा है शायद,
वरन वो मेहरवान नहीं था।
ऐसा नहीं के बाग उसने लगाये थे,
वैसा बगवान नहीं था।
"अहसास" कैसे होता गलती का ?
हाथ में आइना नहीं था।
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